“उम्र” के लेखक यश मजेजी का एक और बेहद शानदार उपन्यास ‘‘मंशा’’
“मंशा” - एक पिता और बेटी का भावुक कर देने वाला उपन्यास।
‘‘पिता और बेटी का ज़माना है ये,
आँसुओं से बना आशियाना है ये।
मोह के उजालों से रोशन हो रहा है,
“मंशा” नाम का ऐसा अफसाना है ये।।’’
उपन्यास मंशा में वर्णित कुछ अंश इस प्रकार ह... ैं -
1. जिस प्रकार बहती हुई हवा की धुन पर थिरकते हुए पेड़ हवा के थमते ही रूककर कुछ झुक जाते हैं मानों अपने इस कृत्य पर झेंप गए हों उसी प्रकार विचारों में खोए हुए श्रीधर बाबू अपनी विचारों की तल्लीनता पर झेंपते हुए उठ खड़े हुए।
2. जिस तरह बरसात होने पर कभी कोई नहीं सोचता कि बरसते पानी में किसी बादल के आँसू भी शामिल हो सकते हैं, पौधों पर ओस की बूँदों में कोई पत्ते के आँसुओं को नहीं ढ़ूँढ़ता, इसी तरह श्रीधर के मन के कष्ट को किसी ने न समझा। वे खुलकर न रो पाए।
3. फ़क़ीर भीख के कटोरे को चूमता हुआ बोला - ‘‘ये तो इसका हुनर है जो दाताओं से पैसे निकलवा लेता है। इसमें पैसे उछालने से अमीरों का उनकी पहचान वालों में रूतबा बढ़ जाता है और मेरा पेट भर जाता है।“ कहकर एक फीकी हँसी हँस दिया।
4. एक तरफ पत्थरों का समूह था जिनके पास जु़बान नहीं थी, भावनाएं नहीं थीं, मन नहीं था फिर भी उनसे बनी हवेली को देखकर लोग कहते आए थे कि किसी सीमेंट में इतनी मजबूती देने की ताकत नहीं है। यकीनन पत्थरों के दिल होता है और वो आपस में दिल से जुड़े हुए हैं। देखो वो मिलन की दास्तान बयां करते हैं। दूसरी और इंसानों का समूह था जिनके पास अल्फ़ाज़ थे, जज़्बात थे, दिल था, पर फिर भी उन्हें देखकर लगता था कि वो हर भावना, हर जज़्बात से दूर पैसों की खातिर विध्वंस करने को तैयार थे।
5. उसकी हँसी में उत्साह, उमंग नहीं था, बल्कि ढीठता थी जो उसे हालातों ने दी थी। उसकी हँसी में जीवन से हारने का जश्न था मानो कह रहा हो, अब मुझे जीने का शौक नहीं यह साँसें जीने को मजबूर करती हैं, इसलिए अब किसी बात पर मुझे भय नहीं लगता। यदि यह जनता भी मेरे सच को जानकर मुझे मारने आए तो मैं ईश्वर से इतनी ही प्रार्थना करूँगा कि हे ईश्वर! इनके हाथों में इतनी शक्ति देना कि इनकी मार खाकर मैं मारा जाऊँ अन्यथा लोगों की नज़र से गिरकर फिर यह ठिकाना भी मेरा चला जाएगा और ज़िंदा रहा तो इस पेट को भरना मुश्किल हो जाएगा।
6. मिट्टी को खोदने पर वह गीली निकलती है मानों रोकर कह रही हो कि तुमने मेरी असलियत सभी के आगे ज़ाहिर कर दिया कि मैं अन्दर से खोखली हूँ, वरना लोग मुझे अपने से दूर नहीं करना चाहते थे।
उपन्यास “मंशा” के बारे में
उपन्यास “मंशा” एक बेहद संवेदनशील उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रत्येक पृष्ठ अपने आप में विचारणीय है और आपको भावनाओं में बहने पर विवश कर देगा।
यश मजेजी के अमेज़न पर अन्य उपन्यास -
वो मीरा नहीं थी (Woh Meera Nahin Thi by Yash Majeji)
उम्र (Umra by Yash Majeji)
लेखक के बारे में
यश मजेजी एक संवेदनशील लेखक हैं जो मन की गहराईयों को आम जन की भाषा में पिरोकर अपनी रचनाओं में प्रस्तुत करते हैं। संवेदनाओं और भावुकता से ओत-प्रोत उपन्यास ‘मंशा’ लेखक का अमेज़न किंडल पर दूसरा उपन्यास है। इससे पूर्व आप उपन्यास ‘उम्र’ को प्रकाशित करके प्रशंसाएं अर्जित कर चुके हैं। आपसे ईमेल आईडी writeryashmajeji@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।read more
BIOGRAPHY Yash Majeji is a rising star in the sky of Hindi literature. He is a writer, a lyricist, a poet. By qualification he is an MBA. He has been an associate member of Screen Writers Association Mumbai. Many of his talks have been telecasted on All India Radio. He has been awarded "Sahitya Mayur Samman" by Sahitya Bodh Gr... oup.
Yash Majeji's literature express emotions like mutual love, sacrifice and dedication. There is positivity in his works which provides a direction to the society which leads to the street of love. Three of his novels “????” (Umra), “????” (Mansha)", “?? ???? ???? ??” (Woh Meera Nahin Thi)" have been published on Amazon Kindle and all his novels express an unselfish affection. Along with this, his poetry collection "Kavi Putra" has also been published on Amazon Kindle.
According to Yash Majeji, “Today in many places, when I see people fighting and quarreling over small things, then I get very upset. That is why through my literature I have attempted to flow the stream of love. The task is difficult but then my heart convinces me that it is not impossible which results in some satisfaction prevails in the heart. If these creations of mine can turn the heart of the people of the society towards mutual affection, dedication and then I will consider myself successful.”
He can be contacted on email id “writeryashmajeji@gmail.com”. His Facebook profile page’s link is as follows –
https://www.facebook.com/yashmajejiauthorread more